शेफाली वर्मा ने सिर्फ 19 साल की उम्र में इतिहास रच दिया है। उनका अद्वितीय उपलब्धी पर पूरा देश गर्वित है। रविवार को उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ भारत की कप्तानी की और अपनी टीम को विश्व विजेता बना दिया। यह एक ऐतिहासिक क्षण है, जो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक नया मुख प्रकट करता है। उनकी युवा उम्र में इस उत्कृष्टता को हासिल करना उनके संघर्ष की गवाही है और यह साबित करता है कि उम्र केवल एक अवधि होती है, अगर आपमें संवेदनशीलता, कार्यशीलता और प्रतिबद्धता हो। उनका योगदान युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्त्रोत है और उन्हें उनके स्वप्नों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
भारत की अंडर-19 महिला टीम ने इतिहास रच दिया है। आईसीसी द्वारा पहली बार आयोजित किए गए अंडर-19 महिला टी-20 वर्ल्ड कप को भारत ने जीत लिया है। टीम इंडिया ने फाइनल में इंग्लैंड को मात दी। टीम इंडिया की कमान इस टूर्नामेंट में 19 साल की शेफाली वर्मा के हाथ में थी। शेफाली जाना पहचाना नाम हैं, क्योंकि 15 साल की उम्र में उन्होंने भारत के लिए डेब्यू किया और अपनी धमाकेदार बल्लेबाजी से अपनी एक पहचान बनाई। अब वह विश्व विजेता कप्तान हैं।
19 साल की शेफाली वर्मा ने खुद को इंटरनेशनल क्रिकेट के लिए तैयार करने के लिए काफी तैयारी की है और संघर्ष किया है। शेफाली ने खुद एक इंटरव्यू में बताया था कि किस तरह वह तेज गेंदबाजी को खेलने की प्रैक्टिस करती थीं। उनके सामने लड़कों को बॉलिंग करवाई जाती थी ताकि वह बॉल की स्पीड का सामना कर पाएं। उनकी इस दृढ़ इच्छा और मेहनत ने उन्हें महानता की ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।
15 साल की उम्र में डेब्यू करना कोई छोटी बात नहीं है, लेकिन शेफाली वर्मा ने यह करके दुनिया को हैरान कर दिया। हरियाणा के रोहतक से आने वाली उन्होंने 2019 में टीम इंडिया के लिए डेब्यू किया था, जब टी-20 वर्ल्ड कप की तैयारियों की धूम थी। उनकी टीम में एंट्री होने का संघर्ष उनके प्रयासों और मेहनत का परिणाम था। उनकी खेल की क्षमता और उनकी उम्र का कोई संबंध नहीं था, जिससे वह टीम में अपनी जगह बना सके। इससे साबित होता है कि यदि आपके सपनों के पीछे पूरी तरह से समर्पित हो, तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है, चाहे वो कितना भी बड़ा या छोटा क्यों ना हो। शेफाली वर्मा ने अपने जीवन में इसे उदाहरण स्थापित किया है और युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी हैं।
बिल्कुल, शेफाली ने अपने शुरुआती मैचों में बल्लेबाजी करते हुए हर कोई हैरान कर दिया था। उन्होंने पहली बॉल से ही बॉलर्स पर अटैक किया और बड़े शॉट की बौछार की। इससे उनके क्रिकेट के प्रति जानकारों की नजरों में उनकी भूमिका बदल गई और उन्हें एक प्रमुख बल्लेबाज के रूप में देखा गया। अगले मैचों में भी, वे अपने प्रदर्शन में सुधार करते रहे और टी-20 वर्ल्ड कप में बेहतर बल्लेबाजी की। लेकिन अफसोस कि वे टीम इंडिया को खिताब नहीं जीत पाई। यह उनके लिए एक अवसर का बाध्यात्मक सिद्धांत बना, जो उन्हें आगे बढ़ने के लिए और मजबूत बनाए।
शेफाली ने अपनी तैयारियों को लेकर बात की थी कि टी-20 वर्ल्ड कप के बाद जब वह वापस आईं तो काफी चीज़ों पर काम करना चाहती थीं। उन्होंने अपने कोच के साथ काम शुरू किया था, क्योंकि उन्हें वनडे टीम में जगह नहीं मिल रही थी। ऐसे में हमने तेज़ गेंद खेलना शुरू किया, लड़के 135-140 KMPH की रफ्तार से बॉलिंग करते थे।
शेफाली के मुताबिक, उन्होंने क्रिकेट के साथ-साथ अपनी फिटनेस, डाइटिंग पर भी जोर दिया। साथ ही वर्ल्ड कप की हार से उबरने के लिए उन्होंने कई सेशन भी किए। मैच फिट रहने के लिए शेफाली ने अपना फेवरेट खाना छोड़ना पड़ा था। उन्होंने बताया कि अब वह पिज़्ज़ा नहीं खातीं, डोरेमैन नहीं देखतीं क्योंकि उनका फोकस क्रिकेट पर ही है।
शेफाली वर्मा का रिकॉर्ड देखें तो सिर्फ 19 साल की उम्र में उनके नाम 51 टी-20 मैच में 1231 रन हैं। उनका स्ट्राइक रेट 134.53 है, उनके नाम टी-20 में 149 चौके और 48 छक्के हैं। वह अब सिर्फ टी-20 ही नहीं बल्कि भारत के लिए वनडे और टेस्ट भी खेल चुकी हैं। अभी तक उन्होंने 2 टेस्ट मैच, 21 वनडे मैच खेले हैं। क्योंकि उनकी उम्र कम थी, ऐसे में बीसीसीआई ने उन्हें अंडर-19 टी-20 वर्ल्ड कप में टीम की कमान सौंपी और अब उन्होंने इतिहास रच दिया है।