periods के समय dysmenorrhea नामक समस्या का सामना करना महिलाओं और लड़कियों के लिए काफी कठिनाईयों भरा होता है। यह स्थिति उन्हें पेट में मरोड़, दर्द, उल्टी-मतली, सिर दर्द, और पेट से जुड़ी समस्याओं का सामना करने के लिए मजबूर करती है। इसे मेडिकल भाषा में dysmenorrhea कहा जाता है।
periods के समय दर्द और तकलीफ महसूस होना किसी के लिए आम बात हो सकती है, जबकि कुछ महिलाएं इससे अधिक प्रभावित होती हैं। इस समस्या के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें हार्मोनल बदलाव, पाचन समस्याएं, यौन संबंधित समस्याएं, और गर्भाशय संबंधित समस्याएं शामिल हो सकती हैं। कुछ महिलाएं इस दर्द के कारण बेहोश भी हो जाती हैं, जबकि अन्यों को मामूली तकलीफ होती है। यह समस्या छुपी हुई समस्याओं का संकेत भी हो सकती है, इसलिए यदि आपको इसमें बार-बार तकलीफ होती है, तो डॉक्टर से परामर्श लेना उत्तम हो सकता है।
मासिक धर्म के दर्द से राहत पाने के लिए आप इन सुझावों का अनुसरण कर सकती हैं:
1. हीटिंग पैड या भारित कंबल का उपयोग करें ताकि आपकी पेट में आराम मिले।
2. कैफीन और अल्कोहल को सीमित करें और स्वस्थ आहार पर ध्यान दें।
3. नियमित व्यायाम और योग से शारीरिक गतिविधि बढ़ाएं।
4. ओटीसी दवाओं जैसे देंडी इबुप्रोफेन या नेप्रोक्सन (एलेव) का सेवन करें।
5. स्तन की मालिश करें यदि स्तनों में दर्द हो।
6. सिर पर ठंडे कपड़े की तरह ठंडा सेक लगाएं यदि सिर में दर्द हो।
7. पर्याप्त पानी पिएं ताकि शारीरिक संतुलन बना रहे।
periods में तेज दर्द के कारण
1. हार्मोनल परिवर्तन: periods के समय हार्मोन्स में परिवर्तन होता है, जिससे रहम की वृद्धि होती है और यह क्रैम्प्स का कारण बनता है।
2. प्रोस्टैग्लैंडिन: यह एक शारीरिक रसायन है जो रक्तसंचार को बढ़ाता है और रहम के समापन को बढ़ाता है, जिससे दर्द का अनुभव होता है।
3. स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं: गर्भाशय की समस्याएं, एंडोमेट्रियोसिस, और पीड़ाशील गर्भाशय सिंड्रोम जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी दर्द का कारण बन सकती हैं।
4. ऐसिडिटी: periods के समय महिलाओं में पेट में अधिक ऐसिडिटी हो सकती है, जिससे उल्टी और मतली का अनुभव हो सकता है।
5. स्थायी आदतें: अन्य अव्यवस्थाओं के साथ, अनियमित पारितोषिक चक्र भी तेज दर्द का कारण बन सकता है।
इन कारणों से जुड़ी समस्याओं का सामना करने के लिए, समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श लेना और उपचार करवाना महत्वपूर्ण होता है।
एंडोमेट्रियोसिस एक गर्भाशय संबंधी रोग है जिसमें गर्भाशय की भीतरी परत में सेल्स असामान्य रूप से विकसित हो जाते हैं। इन सेल्स का विस्तार गर्भाशय के बाहरी हिस्सों तक हो सकता है। यह रोग महिलाओं के पेट के आंतरिक हिस्सों में दर्द, पेट में सूजन, और मासिक धर्म के समय दर्द के साथ जुड़ा होता है। यह रोग प्रजनन तंत्र में समस्याओं का कारण बन सकता है और गर्भधारण में दिक्कतें पैदा कर सकता है।
यूटरीन फाइब्रॉइड एक प्रकार की गर्भाशय में बनने वाली गांठ होती है जो असामान्य रूप से सेल्स के विकास के कारण होती है। इस रोग के कारण कई महिलाएं गर्भधारण में परेशानी महसूस कर सकती हैं, और इससे पीरियड्स से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं। उपचार के लिए डॉक्टरों के सुझाव का अनुसरण करना जरूरी होता है।
periods के दौरान सीने में होने वाले दर्द और तकलीफ को कम करने के लिए सीने को मालिश करना बहुत फायदेमंद हो सकता है। यह तंग होने वाली सेल्स को ढीला करने और तनाव को कम करने में मदद करता है।
गर्म पानी से सेंकने से सेल्स का दर्द कम हो सकता है और आराम मिल सकता है। इसके लिए, गर्म पानी की थैली को सीने पर सेंकें और धीरे से मसाज करें।
आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से बनाया गरम हर्बल काढ़ा और चाय पीने से भी पीरियड्स के दौरान दर्द और तकलीफ में आराम मिल सकता है। इसमें अदरक, कैमोमाइल, सौंफ, और तुलसी जैसी हर्ब्स का उपयोग किया जाता है जो शांति और आराम प्रदान कर सकती हैं।