सेक्स नहीं कर पाने के लिए युवक ने सरकार पर ठोका 10 हजार करोड़ का दावा news
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सेक्स नहीं कर पाने के लिए आदिवासी युवक ने सरकार पर ठोका 10 हजार करोड़ का दावा news
एमप के रतलाम में एक युवक ने सरकार पर 10006 करोड़ से ज्यादा का दावा ठोका है। इसमें से 10 हजार करोड़ रुपये का हरजाना उसने सेक्स का आनंद नहीं ले पाने के लिए मांगा है। 35 वर्षीय आदिवासी युवक को गैंगरेप के आरोप में जेल जाना पड़ा था। करीब दो साल तक जेल में रहने के बाद अक्टूबर, 2022 में वह आरोपों से बरी हुआ
रतलाम, मध्य प्रदेश: रतलाम में एक अद्वितीय मामला सामने आया है, जहां एक आदिवासी युवक ने सरकार पर 10006 करोड़ से अधिक का दावा लगाया है। युवक को गैंगरेप के मामले में जेल में भेजा गया था, लेकिन बाद में उसे आरोपों से बरी कर दिया गया था। उसका दावा है कि जेल में रहते समय उसे सेक्स करने का अवसर नहीं मिला, जिसके कारण उसे सरकार से हरजाना मिलना चाहिए। 666 दिनों के जेल अनुभव के बाद, अक्टूबर 2022 में युवक आरोपों से बरी हो गया था। कांतिलाल भील, जिन्हें कंतू के नाम से भी जाना जाता है, का कहना है कि सेक्स मानवता के लिए ईश्वर का वरदान है। गलत आरोपों के कारण उन्होंने जेल में रहते हुए इस आनंद का अनुभव नहीं किया।
35 वर्षीय युवक ने आरोप लगाया है कि गलत आरोप के चलते जेल में जाने से उसकी ज़िंदगी पूरी तरह से पलट गई। उसे अपनी पत्नी, बच्चों, और बूढ़ी माँ को सामना करना पड़ा। उसके परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह उन्हें जेल के लिए अंडरगारमेंट्स खरीद सके। जेल में उसे बिना कपड़ों के सर्दी और गर्मी का सामना करना पड़ा।
कांतिलाल ने बताया कि वह पांच साल से परेशान है। तीन साल तक पुलिस ने उसे परेशान किया। इसके बाद वह दो साल जेल में रहा। दो साल तक बिना अपराध के जेल की प्रताड़ना सहनी पड़ी। अब परिवार सड़क पर आ गया है। वह अब बच्चों के लिए खाने-पीने का इंतजाम नहीं कर पा रहा है। पुलिस ने उसे जबरदस्ती झूठे केस में फंसा दिया।
कांतिलाल के वकील विजय सिंह यादव ने बताया कि मानव जीवन का कोई मूल्य तय नहीं किया जा सकता है। पुलिस और राज्य सरकार की वजह से उसका जीवन बर्बाद हो गया। उसे बेगुनाह होने के बावजूद 2 साल तक जेल की प्रताड़ना सहनी पड़ी। इसलिए उसने राज्य शासन और पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध क्षतिपूर्ति का दावा जिला एवं सत्र न्यायालय में पेश किया है। पीड़ित के परिवार में बुजुर्ग मां मीरा, पत्नी लीला और 3 बच्चे हैं। सभी के पालन पोषण की जिम्मेदारी उसी पर है। परिवार भुखमरी की स्थिति में आ गया। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई छूट गई। अब, समाज में वापस जाने के लिए और रोजगार के लिए उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसी वजह से दावा लगाया गया है।