Mohan Singh Oberoi ने कैसे खड़ा किया 7200 करोड़ का बिजनेस
ओबरॉय होटल: असली कहानी
ओबरॉय होटल – यह नाम आपने कहीं न कहीं सुना होगा, जो आज भारत के साथ साथ दुनिया के कई देशों में मौजूद है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस होटल के मालिक को यह विरासत में नहीं मिला था, बल्कि उन्होंने सिर्फ 25 रुपये में इस होटल की नींव रखी थी। जी हां दोस्तों, यह कहानी उस महान उद्यमी रायबहादुर मोहन सिंह ओबरॉय की है, जिन्होंने अपने अद्वितीय संघर्ष और उत्साह से एक सफल व्यवसायी बनने की अनोखी कहानी लिखी।
एक संघर्षपूर्ण आरंभ
रायबहादुर मोहन सिंह ओबरॉय का जन्म 15 अगस्त 1898 में वर्तमान पाकिस्तान के झेलम नदी के किनारे एक साधारण परिवार में हुआ था। पिता की मौत के बाद, उनकी मां ने उन्हें पालने के लिए बड़ा संघर्ष किया। पढ़ाई के बाद भी नौकरी न मिलने पर उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में काम किया, लेकिन वह अपने लक्ष्यों से दूर थे
नई राह
मोहन सिंह को नौकरी नहीं मिलने से परेशानी होने लगी, लेकिन उनकी सहानुभूति और प्रतिबद्धता कभी हार नहीं मानने दी। अपनी मां की सलाह पर वे जूते की फैक्ट्री में मजदूरी करने लगे, लेकिन उनका उत्साह और कार्यकुशलता उन्हें नई दिशा देने लगी
सपने की उड़ान
मोहन सिंह के लिए उद्यम की सीमा को पार करने का समय आ गया। वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए 25 रुपये में एक छोटे से होटल की नींव रखने का साहस किया
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संकल्प और सफलता
मोहन सिंह की मेहनत और संघर्ष ने उन्हें अरबों रुपये के संपत्ति का मालिक बना दिया। ओबरॉय होटल की उनकी सफलता उनकी अद्वितीय दृष्टि, संघर्ष और उत्साह का परिणाम थी।
नेतृत्व की यात्रा
मोहन सिंह ओबरॉय ने न केवल व्यावसायिक स्तर पर बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी नेतृत्व कौशल का परिचय दिया।
मोहन सिंह ओबरॉय
मोहन सिंह के जीवन के चरणों को एक-एक करके देखते हैं, हमें उनकी अद्वितीय कहानी का संघर्ष, संघर्ष और सफलता का संदेश प्राप्त होता है।
मोहन सिंह का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था, और उनके जीवन में संघर्ष का सिलसिला बहुत पहले से ही शुरू हो गया था। पिता की मृत्यु के बाद, मां ने उन्हें पालने के लिए बड़ा संघर्ष किया
मोहन सिंह को नौकरी की कमी से जूझना पड़ा, लेकिन उनकी संघर्षपूर्ण आत्मा और संघर्ष के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी। एक दिन, उन्हें मां ने कहा कि वे किसी और दिशा में ध्यान दें, और उन्होंने एक छोटे से होटल की नींव रखने का निर्णय किया
होटल की नींव
मोहन सिंह के पास न केवल पैसे थे और न ही साथ ही कोई ऐसा अनुभव था, जो होटल बिजनेस के लिए आवश्यक था। उन्होंने अपनी सारी सामर्थ्य और प्रामाणिकता को लाने के लिए निश्चित किया और शिमला जाकर होटल बिजनेस में कदम रखा।
उद्यमी का सफर
शिमला में, उन्होंने नौकरी की खोज की और एक ब्रिटिश होटल में क्लर्क के पद के लिए अपना स्थान प्राप्त किया। उनकी मेहनत और संघर्ष ने उन्हें होटल उद्यम में सफलता के साथ नए उच्चायों तक पहुंचाया।
व्यावसायिक सफलता
होटल उद्यम में उनकी प्रगति ने ब्रिटिश होटल मैनेजर्स को भी प्रभावित किया, और उन्हें अधिक उत्साहित करने के लिए उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों में सम्मिलित किया गया।
सार्थक संघर्ष
मोहन सिंह की कहानी हमें यह सिखाती है कि संघर्ष और उत्साह से संघर्षित होकर, हम किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं, और अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं। उन्होंने अपनी मां के दिए हुए ₹25 से अरबों का संघर्ष किया और व्यावसायिक साफल्य तक पहुंचे।
समाप्ति
मोहन सिंह ओबरॉय की कहानी हमें यह दिखाती है कि संघर्षपूर्ण आत्मा और सही दिशा में दृढ़ निश्चय से, हम अपने सपनों को हासिल कर सकते
हैं। उन्होंने अपने जीवन में संघर्षों का सामना किया, लेकिन उनकी उत्साह और प्रतिबद्धता ने उन्हें वहां पहुंचाया जहां से उनकी सफलता की यात्रा शुरू हुई थी।