भारत में संरक्षित दोमुंहा सांप, जिसे अंग्रेजी में “double-faced snake” कहा जाता है, अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत ज्यादा मांग है। इसकी मूल्यांकन में करोड़ों रुपए तक की बात की जाती है। राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्रों में इसकी बहुतायत में पाई जाने वाली यह सांप का वैज्ञानिक नाम “Red Sand Boa Snake” है। इसके संबंध में कुछ पुरानी प्रथाओं के कारण इसकी अवैध व्यापारिकता होती है। अंतर्राष्ट्रीय मांग के कारण, इस सांप को विदेशों में 3 करोड़ से लेकर 25 करोड़ रुपए तक की कीमत में बेचा जाता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, दोमुंहे सांप का विशेष रूप से तांत्रिक क्रियाओं में इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा, कुछ लोग यह मानते हैं कि इन सांपों को खाने से शारीरिक और यौन शक्ति में बढ़ोतरी होती है। इसके अलावा, ऐड्स जैसी खतरनाक बीमारी का इलाज भी इनसे संभव है, हालांकि ऐसे दावों के पीछे किसी वैज्ञानिक आधार का समर्थन नहीं है। इसके बावजूद, इस प्रकार की अफवाहों के कारण इन सांपों की तस्करी की जाती है।
देश के कई हिस्सों में दोमुंहे सांप की तस्करी का व्यापक धंधा है। मुख्यतः बिहार, बंगाल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, और हरियाणा राज्य इसमें शामिल हैं। हालांकि, वास्तव में दोमुंहे सांप के दो मुंहों के साथ कोई वास्तविक संबंध नहीं होता है। इसके बजाय, इस सांप की पूंछ की आकृति ऐसी होती है कि यह मुंह की तरह दिखती है।
जब यह सांप खतरे में होता है, तो यह अपनी पूंछ को मुंह की तरह ऊपर उठा लेता है। इसके कारण इसे ‘दो मुंहा सांप’ कहा जाता है। इस सांप के बारे में अलग-अलग हिस्सों में कई मिथक प्रचलित हैं, जिनके कारण इसका अस्तित्व खतरे में है। भारत सरकार ने 1972 में इसे अन्य पांच जीवों के साथ इसे संरक्षित जीव में शामिल किया है।
ऐसी मान्यता और धारणाएँ मूल रूप से विज्ञानिक तथ्यों पर आधारित नहीं हैं। दोमुंहे सांप का मांस खाने से व्यक्तियों की बीमारियों का इलाज होना विज्ञान द्वारा सिद्ध नहीं हुआ है। ऐसी धारणाएँ जातिवादी और आध्यात्मिक मान्यताओं पर आधारित हो सकती हैं, लेकिन वे वैज्ञानिक समर्थन प्राप्त नहीं करती हैं। इसलिए, ऐसी धारणाओं को स्वस्थ और सत्यापित सूत्रों पर आधारित जानकारी के साथ परीक्षा करना उचित है।
वैज्ञानिक अनुसंधान इस धारणा का समर्थन नहीं करता है कि दोमुंहे सांप का सेवन सेक्स पावर को बढ़ाता है या भाग्य को सुधारता है। इसे एक समर्थनहीन मान्यता के रूप में देखा जाता है, जो विज्ञान के प्रमाणों पर आधारित नहीं है। दोमुंहे सांप एक शर्मिला सांप हो सकता है, जिसे जंगलों में रेतीली या मिट्टी के क्षेत्रों में देखा जा सकता है, लेकिन इसका कोई भाग्य से कोई संबंध नहीं होता है। इस प्रकार की मान्यताओं को समर्थित करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं।
दोमुंहे सांप मनुष्यों के लिए खतरा नहीं होता है और इसे आमतौर पर शांत प्रवृत्ति का समर्थन किया जाता है। यह जंगली जीवों को अपने खराब नहीं करता है और अपना भोजन प्राप्त करने के लिए अधिकतर छोटे प्राणियों का पीछा करता है। इसके अलावा, इस सांप का विष भी अधिक उत्कृष्ट नहीं होता है, जिससे इसके संपर्क में आने पर भी अक्सर लोगों को कोई खतरा नहीं होता है।
यह अधिनियम भारतीय वन्यजीव और उनके संरक्षण के मामले में महत्वपूर्ण है, और इसके तहत दोमुंहे सांप जैसे संरक्षित जानवरों की सुरक्षा की जाती है। इसके तहत, इस सांप का संरक्षण और बचाव के लिए कई प्रावधान हैं, जो इसके विविध आवास क्षेत्रों को सुरक्षित रखने के लिए हैं। किसी भी प्रकार की तस्करी या इसका हत्या कानूनन अपराध मानी जाती है और उस पर कड़ी कार्रवाई की जाती है।